Friday, December 27, 2024

न दोस्त न दुश्मन

 


हम दोस्त नहीं रहे -तो क्या हुआ

दुश्मन भी तो नहीं हैं हम


आप को शायद इस का एहसास नहीं

लेकिन हमें ज़रूर महसूस हुआ 

आप अपने ही आखों में बड़े होते गए

आप ऊंचाईयों में टहलने लगे

जहां हमारी आवाज़ नहीं पहुँच पाते 


आप  बहुत आगे निकल गए

शायद आप ने गौर नहीं किया 

पर अब आप ऊंचाईयों से 

नीचे की तरफ आखें बिछाकर पेशाते हैं


और हमारे बीच की दूरी बढ़ती गई

अब यह फाँसला जो हमारे बीच बने

तय करना है नामुमकिन


वह हँसी,  वह मजेदार किस्से

वह अपनापन , वह  आराम

वह सांत्वना , वह तस्सल्ली

अब नहीं रहा


पर इस के बावजूद 

आप की खुशी में हम अब भी शामिल हैं

पर वह मेल जोल , वह साथ बस न रहा


कोई  गिले शिकवे नहीं

न कोई पछतावा

न खेद या दुख


बस अब हम दोस्त नहीं रहे- 

तो क्या हुआ -दुश्मन थोडे हैं हम?


No comments:

Post a Comment